Category: विधाएँ

पिता ने अहिंसा का साक्षात पाठ पढ़ाया

बड़ों का बचपन ♦  महात्मा गांधी  >    मेरे एक रिश्तेदार के साथ मुझे बीड़ी-सिगरेट पीने का चस्का लगा. हमारे पास पैसे तो होते नहीं थे. हम  दोनों में से किसी को यह पता नहीं था कि सिगरेट पीने से कोई फायदा…

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन… क्यों?

♦  यज्ञ शर्मा >    बचपन कई तरह का होता है. एक बचपन वह होता है जिसमें बच्चे खेलते-कूदते हैं. हंसते हैं, खिलखिलाते हैं, मचलते हैं, रूठते हैं. दूसरा बचपन वह होता है जो बुढ़ापा खराब होने पर याद आता है. जो…

ज़रा यूं समझें बचपन को

♦  मस्तराम कपूर  >    एक बार चिल्ड्रेंस बुक ट्रस्ट के संस्थापक शंकर पिल्लै से मिलने और उनसे बालसाहित्य पर बातचीत करने का अवसर मिला था. उन दिनों में बाल साहित्य पर अनुसंधान कर रहा था. चूंकि बाल साहित्य से…

हेलन की आत्मकथा (भाग – 4)

  दैनिक नियम के अनुसार मैंने भोजनोपरांत यूनानी वनदेवता सटीरोस को जल अर्पित किया. महाराज मेरी श्रद्धा से परिचित थे. अतः उन्होंने कोई प्रश्न नहीं किया. वन विभागाध्यक्ष, आटविक को आदेश दिया गया कि सभी सहचरों तथा सैनिकों के भोजन…

हेलन की आत्मकथा (भाग – 3)

अंततः तात आचार्य के ग्रंथ अर्थशास्त्र के लोकार्पण का दिन आ गया. राजप्रासाद के बाहर एक विराट पट-मंडप निर्मित किया गया. राज-परिवार के बैठने के लिए आसन इस प्रकार लगाए गए कि उनका पृष्ठ भाग प्रासाद की ओर हो. ऐसा सुरक्षा…