Category: विधाएँ

आधे रास्ते (तीसरी क़िस्त)

जब मेरा जन्म हुआ तो मुझे बड़ा लाड़-प्यार मिला. छह लड़कियों के बाद मैं ही एक लड़का था. सबको प्रतीक्षा कराते-कराते मैंने थका डाला था. मेरे आते ही पिताजी तहसीलदार हुए. फिर जब मैं छोटा था तब मैंने सबके मन…

आधे रास्ते (दूसरी क़िस्त)

काशीराम काका के पुत्र नवनिधिराम भी वकील थे. वे टीला छोड़कर पास ही के मुहल्ले में एक हवेली में जा रहे थे. वेस्वभाव से सतोगुणी और संतोषी थे. अनूपराम मुन्शी के दो पुत्र हवेली में ही. रहते थे. वे अलग…

आधे रास्ते (आत्मकथा) पहला खंड

गुजराती अस्मिता को रूपाकार देने वाले कनैयालाल माणिकलाल मुनशी वस्तुतः बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. एक राजनेता, एक संविधानविद, एक कानूनविद, एक कर्मठ कार्यकर्ता के साथ-साथ वे अपने समय के प्रतिनिधि साहित्यकार भी थे. उनकी कहानियां, उपन्यास आदि आज गुजराती-साहित्य…

मान की मृत्यु

♦  शम्स नवेद           मुबारिजुलमुल्क का व्यक्तित्व प्रभावशाली था. वह ऊंचा-पूरा, बदन का चुस्त और तगड़ा था. उसकी दाढ़ी कमरपट्टे को छूती थी और मूंछे घनी और ऊपर की ओर मुड़ी रहती थीं. उसे देखकर उसके साथियों…

नेतिहास

गुजराती कहानी  ♦  चंद्रकांत बक्षी          सरकारी कंट्राक्टर जैसे लग रहे एक दुर्जन ने पूछा- ‘क्या करते हैं आप?’ मीटर गेज ट्रेन की खड़खड़ाहट में उसने कुछ मोटी आवाज़ में जवाब दिया- ‘प्रोफेसर हूं!’     ‘किस विषय…