Category: विधाएँ

शांतिप्रिय नेवला

♦  जेम्स थर्बर     सांपों के देश में एक ऐसा नेवला पैदा हो गया, जो सांपों से ही क्या, किसी भी जानवर से लड़ना नहीं चाहता था. सारे नेवलों में यह बात फैल गयी. वे कहने लगे, अगर वह…

पूर्ववत्

♦  राजेंद्र कुमार शर्मा           रेल्वे फाटक के बंद होते ही सड़क पर से गुजरता भीड़ का रेला इस तरह ठहर गया, गोया पानी का तेज बहाव किसी अप्रत्याशित दीवार से टकराकर ठहर गया हो. एक-आध कार,…

तू कौन और मैं कौन?

♦  देवराज शर्मा         ब्रह्माजी के ऋभु नामक पुत्र थे. वे बचपन से ही परमार्थ तत्त्व का ज्ञाता थे. महर्षि पुलस्त्य का पुत्र निदाघ उनका शिष्य था. प्राचीन काल में महर्षि ऋभु निदाघ को उपदेश देने के…

चिरागों की दुकान

♦  प्रभाकर गुप्त           सत्रहवीं सदी के सूफी संत शेख-पीर सत्तार जिनकी दरगाह मेरठ में है, एक किस्सा सुनाया करते थे.     एक रात किसी सूनी गली में दो राहगीर मिले. उनमें परस्पर यह वार्त्तालाप हुआ-  …

सिंधु-स्मरण

♦  इंदुलाल गांधी              किशोरावस्था की कोमल उमंग और उम्र की पहली पचीसी के आविर्भाव का वह पहला परिभ्रमण था. जिसे वेद में ‘समुद्र-नंदिनी’ कहा गया है, उस पुण्यसलिला सिंधु के किनारे-किनारे लगातार बारह महीने तक…