Category: स्तंभ

जब न हम तन में रहेंगे…

♦   परितोष शर्मा    > सामान्यतः अभिव्यक्ति, विशेषकर काव्यभिव्यक्ति एवं साहित्यिक अभिव्यक्ति, व्यक्तित्व और व्यक्ति के अव्यक्त को व्यक्त करती है. कवि नरेंद्र शर्मा के व्यक्तित्व के अनुरूप उनकी काव्याभिव्यक्ति का मूल-तत्त्व है ‘राष्ट्र प्रेम’. स्वजन और जन-जन के…

रेणु को जानने-समझने का आईना

♦  भारत यायावर   > रेणु के देहावसान के बाद उनके साथ होने का अवसर मुझे मिला और धीरे-धीरे मैं इस तरह रेणु-मय होता चला गया कि बरसों मुझे यह होश नहीं रहा कि मैं रेणु से परे या अलग हूं.…

सिर्फ फंतासी नहीं हैं विज्ञानकथाएं

♦  शैलेंद्र चौहान    > उन्नीसवीं सदी के आरम्भ और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध के मध्यकाल में दुनिया भर में अनेक विज्ञान-कथाएं लिखी गयीं, जिन्होंने न केवल भविष्य के विज्ञान को परिलक्षित किया बल्कि समाज के वैज्ञानिक विकास को नियोजित…

हाहाकार की हकीकत

♦   प्रभु जोशी   > बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में उसके पतन की पटकथा शुरू हो गयी थी और अंतिम दशक तक पहुंचते-पहुंचते तो उसके तमाम शिखर भग्नावेश में बदल गये. क्योंकि, जिन ‘विचारों’ की ऊंचाइयां आकाश नापने लगी थीं,…

सभ्यता का कचरा

♦  राजेंद्र माथुर   > सभ्यता की एक महान समस्या कचरा है. कचरा सर्वत्र है. वह खेत में है और कारखानों में है. जब खेतों में प्राकृतिक खाद पड़ती थी, तब खेत उसे सोख लेते थे. लेकिन आजकल खेत में रासायनिक…