Category: स्तंभ

आधे रास्ते (दूसरी क़िस्त)

काशीराम काका के पुत्र नवनिधिराम भी वकील थे. वे टीला छोड़कर पास ही के मुहल्ले में एक हवेली में जा रहे थे. वेस्वभाव से सतोगुणी और संतोषी थे. अनूपराम मुन्शी के दो पुत्र हवेली में ही. रहते थे. वे अलग…

आधे रास्ते (पहली क़िस्त)

मेरा जन्म संवत् 1944 में पूष मास की पूर्णिमा को दोपहर के बारह बजे भड़ौंच में हुआ. उस दिन सन् 1887 के दिसम्बर के महीने की 29 वीं तारीख थी या 30वीं, इसका मुझे ठीक पता नहीं है. चालीस वर्ष…

आधे रास्ते (आत्मकथा) पहला खंड

गुजराती अस्मिता को रूपाकार देने वाले कनैयालाल माणिकलाल मुनशी वस्तुतः बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. एक राजनेता, एक संविधानविद, एक कानूनविद, एक कर्मठ कार्यकर्ता के साथ-साथ वे अपने समय के प्रतिनिधि साहित्यकार भी थे. उनकी कहानियां, उपन्यास आदि आज गुजराती-साहित्य…

ताल्सताय को लिखे पत्र का एक अंश

♦  मैक्सिम गोर्की          … आपके बनाये मेरे पोर्ट्रेट और मेरे बारे में आपके कृपापूर्ण और सुंदर शब्दों के लिए धन्यवाद. मैं यह तो नहीं जानता कि मैं अपनी किताबें से बेहतर हूं या नहीं, मगर इतना जरूर…

गेहूं का प्रागितिहास

♦   विश्वप्रकाश      अनादि काल से गेहूं मानव-जाति के बहुत बड़े भाग के भोजन का आधार रहा है. प्रमाण मिलते हैं कि प्रागैतिहासिक युग में भी उबले हुए गेंहू का प्रयोग खाने के लिए होता था. बाद में…